महिला सुरक्षा जागरूकता हेतु चलाया जा रहा जनकल्याण विशेष अभियान

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर बच्चों को किया गया जागरुक

पुलिस मुख्यालय, भोपाल के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश में 29 से 31 मई 2025 तक लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को “जनकल्याणी पर्व” के रूप में पूरे हर्षोल्लास और सम्मान के साथ मनाया जा रहा है।

इसी क्रम में आयोजित सृजन किशोर सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत इंडोर क्लास के दौरान बच्चों को “लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के बारे मे बताया गया कि वे नारी सशक्तिकरण की सजीव प्रतिमूर्ति थीं। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आज महिलाओं में आत्मविश्वास, सुरक्षा और जागरूकता की भावना को सशक्त करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किया गया।

आज के इंडोर सत्र के संदर्भ व्यक्ति सुश्रीअर्घा तिवारी , उदयन केयर ने लिया और उन्होंने सर्वप्रथम बच्चों से जेंडर के बारे में आप क्या जानते हो सवाल से किया और इस सवाल का जवाब बच्चों ने अलग –अलग दिया और एक बच्चे ने कहाँ की तीन प्रकार के जेंडर होते हैं । आगे अर्घा जी ने विषय को बच्चों को जेंडर विषय चर्चा के माध्यम से समझाया और कहा जेंडर समाज द्वारा भूमिकाएं हैं जिसे हम निभाते है और उसी फ्रेम में धीरे धीरे ढलते जाते हैं । बच्चा जब जन्म लेता है तब उसके लिए सब कुछ सामान्य होता है लेकिन धीरे –धीरे उसे सामाजिक भूमिकाएं सिखाएं जाती है जैसे लड़के का पहनावा अलग होगा और लड़की का पहनावा अलग ।

यहाँ तक की बोलने या चलने के तौर –तरीके भी अलग होते जाते हैं । दिक्कत वहाँ से शुरू होती है जब इन्हीं अंतर के कारण बालक –बालिकाओं के साथ- साथ भेदभाव किया जाता है और बालिकाओं के समान अवसर नहीं दिए जाते सिर्फ इसलिए क्यू की वो लड़की है । उन्होंने कार्य करने के उदाहरण भी शेयर किए और कहा कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए सिर्फ कौशल की जरूरत होती है न कि जेंडर के आधार पर किसी कार्य करने वाले का चयन नहीं किया जा सकता ।

इसके पश्चात एक शॉर्ट विडिओ दिखाया गया जिसमें एक बच्चे के आसपास का माहौल उस पर क्या प्रभाव डालता है दिखाया जाता है और वो उसे सहज रूप मे स्वीकार्य करते है या बच्चे जो देखते है उसी से सीखते हैं । जरूरत है सिर्फ बदलाव करने एवं समता ,समानता लाने हेतु एक छोटा सा प्रयास स्वयं से ही शुरू करने की जो बाद में एक बड़े बदलाव की नींव रखता है । उन्होंने जोर दिया कि बलिकाएं भी सभी कार्य कर सकती है जरूरत सिर्फ बराबरी के अवसर उत्पन्न करने एवं देने की । उन्होंने ट्रांस जेंडर के बारे में भी बच्चों को समझाया ।

इसके साथ ही बच्चों को किशोरावस्था के बारे में बताया गया और कहाँ कि यह वह उम्र है जिसमें हमें अपना शिक्षा का लक्ष्य तय कर उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।
आउटडोर क्लास में अंशु सर ने पिछली तकनीकों डबल पंच , ट्रिपल पंच और फोर पंच अभ्यास करवाया और साथ ही बच्चों को USA, “Unarmed Combat Six” नई तकनीक भी सिखाई । अंत में दोनों संदर्भ व्यक्तियों को सभी बच्चों ने धन्यवाद दिया

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